यादव लैंड ऑफ बिहार से जदयू की जीत लगभग पक्की
Lok Sabha Election 2024
देर से प्रत्याशी की घोषणा ने राजद की निकाली हवा
अर्थप्रकाश / मुकेश कुमार सिंह
पटना / बिहार। Lok Sabha Election 2024: बिहार में 7 मई को तीसरे चरण के हुए मतदान में, मधेपुरा लोकसभा सीट का परिणाम पहले से ही सुनिश्चित दिख रहा है। यादव लैंड ऑफ बिहार के नाम से मशहूर मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से 2019 की तरह इस बार भी, जदयू की जीत लगभग पक्की मानी जा रही है। मधेपुरा को यादव लैंड ऑफ बिहार भी कहा जाता है। गौरतलब है कि भागलपुर से 1967 में अलग होकर अस्तित्व में आये, मधेपुरा सीट से सिर्फ यादव जाति के नेता ही आज तक सदन पहुँचते रहे हैं। दीगर बात यह भी है कि यह लोकसभा क्षेत्र कर्पूरी ठाकुर और किराय मुसहर जैसे समाजवादी नेता का भी गढ़ रहा है। ये दोनों ही नेता, अविभाजित मधेपुरा सीट से चुनाव जीते थे।
1967 से मधेपुरा से सिर्फ एक ही जाति के नेता पहुँच रहे हैं सदन
यह बेहद दिलचस्प बात है कि मधेपुरा लोकसभा से सिर्फ यादव जाति के नेता ही लोकसभा पहुँचते रहे हैं। हाँलाँकि दल बदलते रहे हैं लेकिन सांसद यादव जाति से चुने जाते हैं। हम नीचे सदन पहुँचने वाले तमाम नेताओं की सूची को परोस रहे हैं।
1967: बीपी मंडल, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी।
1968: बीपी मंडल, निर्दलीय।
1971: चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव, कांग्रेस।
1977: बीपी मंडल, भारतीय लोकदल।
1980: चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव, कांग्रेस।
1984: चौधरी महाबीर प्रसाद यादव, कांग्रेस।
1989: चौधरी रामेंद्र कुमार यादव रवि, जनता दल।
1991: शरद यादव, जनता दल।
1996: शरद यादव, जनता दल।
1998: लालू प्रसाद, राष्ट्रीय जनता दल।
1999: शरद यादव, जदयू।
2004: लालू प्रसाद, राष्ट्रीय जनता दल।
2004: राजेश रंजन (पप्पू यादव), राष्ट्रीय जनता दल।
2009: शरद यादव, जदयू।
2014: राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, राष्ट्रीय जनता दल।
2019: दिनेश चंद्र यादव, जदयू।
मधेपुरा लोकसभा सीट के तहत
आखिर मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का क्या है पार्टीगत और जातीय समीकरण ?
मधेपुरा लोकसभा के भीतर, विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। इन विधानसभा सीटों में आलमनगर से जदयू के नरेंद्र नारायण यादव, बिहारीगंज से जदयू के निरंजन मेहता, मधेपुरा से राजद के प्रोफेसर चंद्रशेखर यादव, सोनबरसा से जदयू के रत्नेश सदा, सहरसा से भाजपा के आलोक रंजन झा और महिषी से जदयू के गूंजेश्वर साह विधायक हैं।
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में यादव जाति के मतदाता सबसे अधिक हैं। यहाँ यादव मतदाताओं की संख्या साढ़े तीन लाख से अधिक है। मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या सवा दो लाख से अधिक है। ब्राह्मण जाति के पौने दो लाख और राजपूत जाति के करीब सवा लाख मतदाता हैं। दलित- महादलित जाति के लगभग सवा तीन लाख वोटर हैं। इसके अलावा करीब 7 लाख पचपनिया वोटर हैं। मधेपुरा में मुस्लिम और यादव वोट, राजद का आधार माना जाता है। एनडीए सवर्ण, वैश्य और पचपनिया वोट पर अपना दावा करता है। वैसे बड़ी मात्रा में दलित-महादलित के वोट भी एनडीए के खाते में जाते हैं। यह बताना बेहद लाजिमी है कि 2019 के लोकसभा के मकाबले इस बार, लगभग ढ़ाई लाख मतदाता की संख्या बढ़ी है।
देर से प्रत्याशी की घोषणा ने राजद की निकाली हवा
चुनाव की घोषणा होते ही जदयू के निवर्तमान जदयू सांसद दिनेश चंद्र यादव ने, मधेपुरा लोकसभा के विभिन्न क्षेत्रों में जम कर दौरा शुरू कर दिया था। बिना प्रत्याशी की घोषणा हुए ही, दिनेश चंद्र यादव ने समय से पहले ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। बहुत मुद्दों पर दिनेश चंद्र यादव से क्षेत्रीय मतदाता नाराज दिख रहे थे लेकिन दिनेश चंद्र यादव सभी को मनाने में लगे रहे। इसमें कोई शक नहीं है कि देश भर में लोग मोदी के नाम पर वोट कर रहे हैं। बिहार में भी मोदी इम्पैक्ट से, कतई इनकार नहीं किया जा सकता है। जदयू ने जब दिनेश चंद्र यादव के प्रत्याशी होने की घोषणा की, तब तक श्री यादव चुनावी समर में बहुत काम कर चुके थे। राजद ने अपने उम्मीदवार की घोषणा करने में काफी देर की। राजद ने डॉक्टर कुमार चंद्रदीप को अपना उम्मीदवार बनाया। कुमार चन्द्रदीप का संबंध समृद्ध राजनीतिक घराना से है। कुमार चन्द्रदीप भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति सह लोकसभा और राज्यसभा सदस्य रहे डॉक्टर रमेंद्र कुमार यादव रवि के पुत्र और संविधान सभा के सदस्य कमलेश्वरी प्रसाद यादव के पौत्र हैं। ये पेशे से प्राध्यापक हैं और राजद के विद्वान नेताओं में से एक हैं। जाहिर तौर पर कुमार चन्द्रदीप को चुनाव प्रचार के लिए भरपूर समय नहीं मिला। कुमार चन्द्रदीप को क्षेत्रीय जनता नहीं जान रही थी। विद्वान और काबिल होते हुए भी कुमार चन्द्रदीप ने इस चुनाव से पहले, क्षेत्र में कोई राजनीतिक पहचान नहीं बनाई थी। कम समय में वे, पूरे लोकसभा क्षेत्र में घूम भी नहीं सके। इस कमजोर नस को दिनेश चंद्र यादव ने पकड़े रखा। एक तो नया चेहरा और दूसरा देर से प्रत्याशी की घोषणा को, जदयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान जम कर भुनाया। मोदी इम्पैक्ट के साथ-साथ राजद प्रत्याशी की पहचान की कमी का, दिनेश चंद्र यादव ने भरपूर फायदा उठाया। मधेपुरा लोकसभा में 2045 बूथ बनाये गए थे। दिनेश चंद्र यादव का बूथ मैनेजमेंट भी जबरदस्त था। दिनेश चंद्र यादव ने प्रचार के दौरान लोगों को यह भरोसा दिलाया कि जो महत्वपूर्ण विकास किसी कारण से बाधित हुए हैं, उन सभी को पुरे करने के उन्होंने संकल्प लिए हैं। मोटे तौर पर, दिनेश चंद्र यादव अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रहे हैं। वैसे सारे जमीनी सर्वे भी यह बता रहा है कि मधेपुरा सीट जदयू के खाते में जा रही है।